सपोटरा का प्रसिद्ध रमणीय स्थल घंटेश्वर धाम

श्रावण मास में श्रद्धालुओं का लगा रहता तांता,क्षेत्र का सुप्रसिद्ध पिकनिक स्थल बना घंटेश्वर धाम
जिला मुख्यालय से करीब 50 किमी दूर अरावली पर्वत श्रृंखलाओं के मध्य व चट्‌टानों की नीचे स्थित घंटेश्वरधाम क्षेत्रवासियों का पिकनिक स्थल बना हुआ है। जहां 150 फिट की ऊंचाई से कल-कल गिरने वाला झरना लोगों के आकर्षण का प्रमुख केन्द्र है। बारिश के दिनों,विशेषकर श्रावण मास में झरने की कल-कल की आवाज शहरी व ग्रामीण पर्यटकों का मन मोह लेती है। यहां श्रावण मास में सपोटरा क्षेत्र सहित आसपास के शहरों के लोगों द्वारा पिकनिक का आयोजन करने से माहौल रंगीन हो रहा है।

घंटेश्वर मंे चट्‌टान के नीचे प्राकृतिक शिवलिंग,राधाकृष्ण,हनुमानजी की प्रतिमाऐं आकर्षित लगती है। रविवार को यह स्थल धार्मिक भावना के साथ पिकनिक स्पॉट बन जाता है। श्रावण मास में प्राकृतिक सौंदर्य से आच्छांदित घंटेश्वरधाम में भक्ति और श्रद्धा का सैलाब उमड़ने से यहां मेले जैसा माहौल बना रहता है। जहां झरने के नीचे स्नान करने से विशेष आनंद की अनुभूति होती है।

सीढ़ियों से पहुंचते है प्राकृतिक शिव मंदिर की गुफा
घंटेश्वर धाम विशाल चट्‌टान के नीचे स्थापित होने से यहां 400-500 लोग एक साथ पिकनिक का आनंद लेने के साथ बारिश में भी सुरक्षित रहते है। घंटेश्वर धाम में पर्यटन विभाग भले ही विकसित करने के लिए कोई दिलचस्पी नही दिखा रहा हो,लेकिन धार्मिक आस्था व अटूट विश्वास रखने वाले पूर्व केन्द्रीय मंत्री नमोनारायण मीणा ने स्थल को विकसित करने के लिए प्राकृतिक रूप से बने शिव मंदिर में नीचे पहुंचने के लिए चट्‌टानी रास्तों के विपरीत सीढ़ियों का निर्माण कराकर मार्ग को सुगम बनाया गया था। इसी प्रकार तत्कालीन कलेक्टर नीरज के.पवन ने भी पर्यटन की संभावना जताते हुए पर्यटन के रूप में इस स्थान को विकसित करने का प्रयास भी किया था। लेकिन पर्यटन विभाग द्वारा कोई दिलचस्पी नही दिखाने के कारण आज भी घंटेश्वर धाम विकास की बाट जोह रहा है।

बाघों की शरणस्थली बना घंटेश्वर
घंटेश्वर के बीहड़ जंगलों में वन्यजीवों की कई प्रजातियां विचरण करती है। जिनमें टाइगर,जरख,नीलगाय,रीछ,हिरण,पैंथर आदि प्रमुख है। घंटेश्वर के जंगलों में कई प्राकृतिक गुफाऐं स्थित है,जहां रणथंभोर से आने वाले बाघ आसानी ये यहां ठहरते है। कैलादेवी अभ्यारण्य में पहली बार 2007 में टाइगर मोहन ने इसी स्थान पर कदम रखा था। उक्त धाम पर कैलादेवी वन्यजीव अभ्यारण्य में टाइगरों को आना-जाना बना रहता है। गत दिनों टाइगर टी-72,सुल्तान,मोहन,सुंदरी आदि घंटेश्वरों के जंगलों में विचरण करते हुए ट्रेप कैमरों में कैद किये जा चुके है। जिन्हे पर्यटकों द्वारा देख लेने से उनका मन बाग-बाग हो जाता है।

दुर्गम राहों का सफर
घंटेश्वरधाम तक पहुंचने के लिए सड़क व ग्रेवल सड़क नही होने के कारण दुर्गम व पथरीले रास्तों से होकर गुजरना पड़ता है। सपोटरा-दौलतपुरा सड़क मार्ग के किलानपुरा गांव से पहाड़ों पर पथरीले रास्तों व नालों से होकर जाना पड़ता है। किलानपुरा से घंटेश्वर की 6 किमी की दूरी 30 मिनिट में तय होती है।

बीहड़ जंगल में स्थापित
घंटेश्वर धाम में धार्मिक स्थलों के अलावा कई जंगली जानवरों की शरणस्थली व गुफाऐं भी बनी हुई है। दूसरी ओर स्थल के चारों ओर बीहड़ जंगल प्राकृतिक छटाओं से परिपूर्ण होने से पर्यटकों का मन मोह लेता है। पर्यटन की अपार संभावनाओं वाला यह स्थल पर्यटन विभाग व प्रशासन की उदासीनता के कारण विकसित नही हो सका है। बताया जाता है कि श्रावण मास में घंटेश्वर में स्थापित शिवालय में बिल्वपत्र आदि चढ़ाने से हर मनौती पूरी होती है।